पर्सनल लोन डिफॉल्टर : पर्सनल लोन नहीं भरा तो क्या होगा
पर्सनल लोन डिफॉल्टर : पर्सनल लोन नहीं भरा तो क्या होगा : दोस्तों, पर्सनल लोन न चुकाया
जाना किसी भी हालात में ठीक नहीं हो सकता.लेकिन परिस्थितियों के चलते पर्सनल लोन का डिफॉल्टर होना संभव
हैं. और जब कोई लोन जमा नहीं कर पाता तो उसके मन में हमेशा अनेक सवाल रहते हैं. पर्सनल लोन नहीं जमा करने पर क्या लीगल कार्यवाही होती हैं? पर्सनल लोन नहीं भरने पर जैल होगी क्या ? या इन सवालों के बिच में एक सवाल जो हमेशा खोजा जाता हैं की भारत में
पर्सनल लोन डिफॉल्टर पर क्या लीगल एक्शन लिया जाता हैं. तो आज की इस आर्टिकल में हम आपको पर्सनल लोन डिफाल्टर पर लिए जाने वाले संभावित लीगल एक्शन
के बारे में बताने वाले हैं.
पर्सनल लोन डिफॉल्टर : पर्सनल लोन नहीं भरा तो क्या होगा : लेकिन
यहाँ आपको एक बात ध्यान रखनी होगी की यह आर्टिकल आपको पूरा पढ़ना होगा क्योकि
आधीअधूरी जानकारी न केवल आपको सही लाभ नहीं पहुचायेगी बल्कि आप इस अधूरी जानकारी
के कारण पर्सनल लोन डिफॉल्टर होने पर कैसे बचे ये भी
नहीं समझ पायेंगे. तो पूरी जानकारी के लिए पुरे आर्टिकल को आखरी तक पढ़े.
पर्सनल लोन के डिफाल्टर होने के बाद बैंक या फाइनेंस कंपनी द्वारा क्या क्या लीगल एक्शन लिए जा सकते हैं इस
जानकारी से पहले आपको जानना होगा की आखिर पर्सनल पर्सनल लोन डिफाल्टर कैसे घोषित होते
हैं.
पर्सनल पर्सनल लोन डिफाल्टर कैसे घोषित होते हैं
तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की पर्सनल
लोन डिफॉल्टर होने के लिए सामान्यत 90 दिनों का समय होता हैं. इसका मतलब ये हैं की यदि कोई व्यक्ति 3 माह से ज्यादा समय तक पर्सनल लोन की ईएमआई का भुगतान करने में असमर्थ होता हैं, तो
बैंक या फाइनेंस कंपनी उस व्यक्ति के लोन अकाउंट को एनपीए यानी नॉन-परफोर्मिंग
असेट्स घोषित कर देती हैं.
उसके बाद अन्य कार्यवाही शुरू की जाती हैं. जिसकी
बात हम आगे करने वाले हैं, दोस्तों हालंकि पर्सनल लोन अनसिक्योर लोन
होता हैं तो बैंक या फाइनेंस कम्पनी के ये संस्थागत नियम भी हो सकते हैं की वो
आपको एक महीने की किश्त के ड्यू होने पर भी रीकवरी का नोटिस थमा सकते हैं. हालांकि ये आरबीआई के नियमो के विरुद्ध हैं लेकिन आरबीआई ने डिफाल्टर के सम्बन्ध में बैंक को विशेष अधिकार भी दे रखे हैं. वेसे
आज हम जिस पॉइंट पे बात करने जा रहे हैं उसके अंतर्गत बैंक या फाइनेंस कंपनी किन
किन कदमो को उठा सकती हैं अगर कोई व्यक्ति पर्सनल लोन
डिफाल्टर होता हैं तो –
ऋण अनुबंध उलंघन के आधार पर कानूनी कार्यवाही
दोस्तों जैसा की मैंने आपको बताया पर्सनल लोन एक असुरक्षित ऋण की
श्रेणी में आता हैं - लेकिन जब आप बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन लेने जाते हैं, तब लोन की स्वीकृति के बाद एक लोन एग्रीमेंट आपको साइन करना आवश्यक
होता हैं. जो लोन लेने वाले और बैंक या फाइनेंस
कम्पनी के मध्य एक करार होता हैं.
उपरोक्त लोन एग्रीमेंट भारतीय
अनुबंध अधिनियम 1872 के तहत किया जाता
हैं. तथा इस एग्रीमेंट में लोन देने और लेने की शर्तो के
साथ ही लोन रीपेमेंट की शर्ते शर्ते भी उल्लेखित
होती हैं. जैसे पर्सनल लोन की
राशी समय पर नहीं जमा की जाती तो क्या होगा? यदि लोन
लेने वाला लंबित समय तक लोन का भुगतान नहीं करता तो बैंक को लोन की रिकवरी के क्या क्या अधिकार होंगे.
इन शर्तो के अलावा कई ऐसी शर्ते होती हैं जो आपको लोन चुकाने के लिए
प्रतिबन्ध बनाती हैं, तथा इस एग्रीमेंट की शर्तो के लिए आपको
बाध्य रखती हैं. जब कोई व्यक्ति लम्बे समय के
लिए पर्सनल लोन को जमा नहीं करता तो वह लोन अकाउंट अनियमित लोन की श्रेणीं में आ
जाता हैं, और इस अनियमितता को उक्त लोन एग्रीमेंट का
उल्लंघन माना जाता हैं. लोन अनुबंध के उलंघन के चलते
बैंक या किसी भी वित्तीय संस्था को पर्सनल लोन
डिफाल्टर के खिलाफ लीगल एक्शन करने का
अधिकार प्राप्त हो जाता हैं.
इस कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया के चलते शुरुवाती चरण में बैंक या
फाइनेंस कम्पनी द्वारा पर्सनल लोन डिफाल्टर को लीगल नोटिस भेजा जाता हैं, जिस लीगल नोटिस में लोन के अनियमित भुगतान के साथ ही साथ लोन डिफाल्टर पर क्या क्या
कानूनी कार्यवाही की जा सकती हैं. इसकी जानकारी उल्लेखित होती हैं इतना ही नहीं इस
नोटिस में इस लीगल प्रोसेस या लीगल एक्शन के एक लोन
डिफाल्टर को क्या क्या परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं इसका भी उल्लेख किया जाता हैं.
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पर्सनल लोन डिफॉल्टर को
लीगल नोटिस में बैंक कुछ समय की मियाद का भी निर्धारण
करती हैं जिसमे यह स्पष्ट निर्देश होता हैं की इस समयावधि के चले जाने के बाद बैंक
या कम्पनी पर्सनल लोन डिफॉल्टर पर नोटिस में
उल्लेखित लीगल एक्शन ले सकती हैं. इस नोटिस तथा
समय अवधि के गुजर जाने के बाद भी यदि लोन का भुगतान नहीं किया जाता तो बैंक या
फाइनेंस कम्पनी द्वारा अदालत में दावा प्रस्तुत किया जाता हैं. उक्त दावे में न केवल लोन की वसूली की प्रार्थना की जाती हैं बल्कि अदालत से कानूनी खर्च तथा अन्य
पेनेल्टी कि वसुली भी पर्सनल लोन डिफॉल्टर से की जाए ऐसी दरख्वास्त की जाती हैं.
पर्सनल लोन डिफॉल्टर :
पर्सनल लोन नहीं भरा तो क्या होगा : इसके बाद
पर्सनल लोन डिफॉल्टरर के विरुद्ध इस दावे का अदालत द्वारा संज्ञान
लिया जाता हैं और इस कार्यवाही को आगे बढाने के लिए कोर्ट पर्सनल लोन डिफॉल्टर को नोटिस भेजती हैं. अदालत में बैंक या फाइनेंस
कंपनी का दावा इसलिए भी मजबूत हो जाता हैं. क्योकि बैंक
अदालत में लोन एग्रीमेंट में उल्लेखित टर्म्स एंड
कंडीशन के आधार पर अपना दावा प्रस्तुत करती हैं. कोर्ट में यदि पर्सनल
लोन डिफॉल्टर दोषी पाया
जाता हैं अथवा लोन एग्रीमेंट की शर्तो का
उलंघन कोर्ट को देखने को मिलता हैं.. तो कोर्ट अपना
आदेश दे सकती हैं. कोर्ट यह आदेश लोन एग्रीमेंट
से जुडी शर्तो, बैंक और लोन लेने वाले दोनों पक्ष को
सुनने के आधार पर देती हैं.
इस आदेश में दोषी यानी पर्सनल लोन डिफॉल्टर को लोन चुकाने का आदेश ,किसी सम्पत्ति को लोन
चुकाने हेतु जब्ती,अर्थदंड,लोन
को चुकता करने के लिए मियाद अथवा टुकडो टुकडो में बैंक को पैसा लौटाने का आदेश या
कोर्ट को लगता हैं तो दोषी यानि पर्सनल लोन डिफॉल्टर को जैल भेजने का आदेश भी सूना सकती हैं. यहाँ
ध्यान रखे की कोर्ट द्वारा उक्त कदम उठाये ही जाए यह
आवश्यक नहीं हैं, किसी भी आदेश में न्यायालय में
चलने वाली कोर्ट की प्रक्रिया, बैंक और लोन लेने
वाले का पक्ष जानने तथा लोन एग्रीमेंट में उल्लेखित शर्तो को आधार माना जाता हैं.
पर्सनल लोन डिफाल्टर के गारंटर पर कानूनी कार्यवाही
दोस्तों पर्सनल लोन डिफॉल्टर होने पर बैंक
या फाइनेंस कंपनी द्वारा कई तरीको से लोन की रिकवरी की
जाती हैं. इसमें दुसरा तरिका हैं लोन ग्यारंटर पर लीगल एक्शन .. इस
प्रक्रिया को तब अपनाया जाता हैं जब डिफाल्ट हुए लोन में लोन लेने वाले के किसी
मित्र या रिश्तेदार अथवा किसी ऐसे व्यक्ति ने जमानत दी हैं. जो
लोन लेने वाले को जानता हों, वैसे भी कोई व्यक्ति
बिना जान पहचान के किसी लोन की ग्यारंटी नहीं दे सकता. इसके
अलावा लोन लेने वाला शहर या देश छोड़ चुका हो तब बैंक को आर्टिकल
में पहले बताये गए अनुबंध के अंतर्गत अर्थात भारतीय अनुबंध अधिनियम 1972 की धारा 128 के माध्यम से ये कानूनी
अधिकार होता हैं की बैंक या फाइनेंस कंपनी पर्सनल लोन के ग्यारंटर पर भी उपरोक्त
अधिनियम के अधीन होकर लीगल कार्यवाही करे. इस दशा में भी
वही प्रक्रिया अपनाई जाती हैं जो लोन लेने वाले पर लीगल
एक्शन के दौरान अपनाई जाती हैं और इसमें भी कोर्ट का
आदेश सभी आधारों पर तय होता हैं.
पर्सनल लोन चेक बाउंसिंग के अंतर्गत कार्यवाही
अब जानने की कोशिश करते हैं पर्सनल लोन डिफॉल्टर पर तीसरे लीगल एक्शन की, पर्सनल
लोन लेते समय जहा एक और बैंक या फाइनेंस कंपनी लोन की सुरक्षा के लिए लोन लेने
वाले से लोन एग्रीमेंट साइन करवाती हैं. वही इसके अलावा
बैंक या फाइनेंस कंपनी लोन लेने वाले से पोस्ट डेटेड चेक भी जमानत के रूप में अपने पास लेती हैं. इन
चेक का उपयोग बैंक द्वारा पर्सनल लोन डिफाल्ट होने पर किया जाता हैं.
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इस प्रक्रिया में बैंक द्वारा पर्सनल लोन का चेक लोन लेने वाले के
बैंक खाते में प्रेजेंट किया जाता हैं और स्वाभाविक तौर पर एक लोन डिफॉल्टर के बैंक में पैसा न होने के कारण वो चेक बाउंस हो जाता हैं. चेक का भुगतान न होने पर लोन लेने वाले के खिलाफ
बैंक परक्राम्य लिखित अधिनियम 1881 या विनिमय साध्य विलेख अधिनियम 1881 की धारा 138 के आधार पर भी लीगल
एक्शन ले सकती हैं. इस धारा में पर्सनल लोन डिफॉल्टर को जैल भी हो
सकती हैं, तथा इस धारा के अंतर्गत किसी बैंक या
फाइनेंस कंपनी के पर्सनल लोन डिफॉल्टर को जुर्माने
का भी प्रावधान होता हैं.
ये तो थी 3 ऐसी संभावित लीगल कार्यवाही जो किसी पर्सनल लोन डिफाल्टर पर बैंक अकसर ले
सकती हैं लेकिन इन लीगल एक्शन के अलावा बैंक या फाइनेंस कंपनी एक पर्सनल लोन
डिफाल्टर पर अन्य कार्यवाही को भी अपनाते हैं मसलन बैंक या फाइनेंस कंपनी लोन लेने
वाले और उस लोन की ग्यारंटी देने वाले की जानकारी क्रेडिट रेटिंग तय करने वाली
एजेंसियों को भेजती हैं. इसके परिणाम स्वरुप पर्सनल लोन डिफॉल्टर तथा उक्त लोन के जमानतदार का सिबिल स्कोर खराब हो जाता हैं जिससे
उन्हें भविष्य में बैंक या वित्तीय संस्था से लोन लेना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
हो जाता हैं.
पर्सनल लोन डिफाल्टर पर लीगल एक्शन की जानकारी...अंत
में कहना चाहेंगे की जो भी लोन ले उसे समय पर चुकाए, लोन
डिफॉल्टर होना न केवल आपके लिए ठीक नहीं हैं बल्कि
ये आपके बच्चो के भविष्य के लिए भी ठीक नहीं हैं. यदि
आप लोन डिफॉल्टर की लीगल एक्शन में उलझे तो न केवल आपको सामजिक अपमान झेलना पडेगा बल्कि जेल तथा अन्य
दंड से भी आप बच नहीं सकते, मान लीजिये की अगर आप इन
लीगल एक्शन से बच भी जाते हैं तो भी आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाएगा और आपको कभी भी लोन नहीं मिल पायेगा, यहाँ तक की जब आपके बच्चे की महंगी शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन हो अथवा
आप अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए होम लोन लेने का सोचेंगे तब आपको लोन लेने
में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा. इसलिए जब भी लोन
ले तब लोन चुकाने की अपनी क्षमता और हर परिस्थित को ध्यान में रखकर
ही आपको लोन लेना चाहिये.
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