क्रेडिट रिपोर्ट में क्लोज्ड, सेटल्ड और राईटऑफ़ फ्लेग क्या हैं
क्रेडिट रिपोर्ट में क्लोज्ड, सेटल्ड और राईटऑफ़ फ्लेग क्या हैं – अच्छा क्रेडिट स्कोर आपको न केवल आसानी से लोन दिलाने में मदद करता हैं. सिबिल, हाईमार्क तथा इक्युफेक्स जैसी क्रेडिट रेटिंग कम्पनिया आपके लोन की समस्त जानकारिया बैंक और फाइनेंस कम्पनियों से प्राप्त करके आपके क्रेडिट स्कोर का निर्धारण करती हैं. सामान्यत: यह स्कोर 750 से ज्यादा होने पे आपको लोन मिलने में आसानी हो जाती हैं और इससे खराब स्कोर पर लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं.
लेकिन आपकी क्रेडिट रिपोर्ट को लेकर तथा इसके अच्छे और बुरे स्कोर को लेकर कही ज्यादा जरुरी हैं इस रिपोर्ट को सही तरीके से समझना. क्रेडिट रिपोर्ट के सभी पक्ष और सेक्शन को समझना आपके लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योकि इन सेक्शन को समझकार आप बारीकी से आपके क्रेडिट स्कोर को इम्प्रोव सकते हैं साथ ही एक गूड क्रेडिट स्कोर बनाए रख सकते हैं.
क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट सेक्शन क्या हैं
क्रेडिट रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन होता हैं अकाउंट सेक्शन इस सेक्शन के अंतर्गत आपके द्वारा लिए गए क्रेडिट कार्ड,बैंक क्रेडिट लिमिट के साथ लोन जैसे होम लोन, पर्सनल लोन,बिजनेस लोन,व्हीकल लोन,ओवरड्राफ्ट लोन,कज्युमर ड्यूरेबल लोन या अन्य सभी लोन की जानकारी के साथ उन सभी बैंक या फाइनेंस कम्पनियों के नाम की जानकारी होती हैं जहा से आपने ये लोन या क्रेडिट सर्विस ली हैं.व्हाट इस क्लोज्ड, सेटल्ड एंड राईटऑफ़ फ्लेग इन क्रेडिट रिपोर्ट हिंदी - इसके अलावा अकाउंट सेक्शन में इन जानकारियों के साथ आप लोन अकाउंट नंबर,ओनरशिप अर्थात यह लोन आपका हैं या आप इस लोन में ग्यारंटर हैं आदि से जुडी जानकारी भी प्रदर्शित होती हैं. इतना ही नहीं लोन का अंतिम भुगतान कब किया गया था. लोन की स्वीकृत राशि क्या हैं. लोन का वर्तमान बेलेंस क्या हैं आदि जानकारियों का भी स्पष्ट उल्लेख अकाउंट सेक्शन में प्रदर्शित होता हैं. इसी के साथ यहाँ एक महत्वपूर्ण जानकारी यह होती हैं की वर्तमान या पिछले लोन की पिछले 3 सालो में आपने किश्तों का भुगतान किस प्रकार किया हैं.
क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट सेक्शन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होता हैं स्थिति या स्टेट्स यह आपके अच्छे बुरे लोन को इंगित करता हैं. यह इंगित करता हैं की उक्त लिए गए लोन का स्टेट्स सामान्य हैं हैं या असामान्य. मुख्यत: यह तीन फ्लेग को दर्शाता हैं.
यह भी पढ़े –
लोन सेटलमेंट करके कही आप लोन डिफाल्टर तोनहीं बन गए
कम क्रेडिट स्कोर पे लोन कैसे लें
क्रेडिट रिपोर्ट की गलतियों को कैसे सुधारे
क्रेडिट रिपोर्ट में क्लोज्ड फ्लेग क्या हैं
किसी क्रेडिट रिपोर्ट के अकाउंट सेक्शन में किसी लोन या क्रेडिट कार्ड के स्टेट्स में यदि क्लोज्ड फ्लेग दिखाई डेटा हैं तो इसका मतलब हैं की उस लोन की समस्त लोन राशि को जमा कर दिया गया हैं और इस लोन अकाउंट को क्लोज्ड कर दिया गया हैं. जब भी आप अपने किसी लोन को पूरी तरह से क्लोज कर देते हैं या लोन की ईएमआई ख़त्म हो जाती हैं तो बैंक या फाइनेंस कंपनी द्वारा क्रेडिट रेटिंग एजेंसीयो को आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में उक्त लोन को बंद दर्शाने की रिपोर्ट भेजी जाती हैं जिसके बाद क्रेडिट रेटिंग कम्पनी आपके क्रेडिट रिपोर्ट में उक्त खाते हो क्लोज स्टेटस में दर्शाते हैं.यदि आपके क्रेडिट रिपोर्ट में कोई ऐसा लोन दर्शित हो रहा हैं जिसका कम्प्लीट पेमेंट आपने कर दिया हैं लेकिन रिपोर्ट में अभी भी वो क्लोज नहीं बता रहा हैं. वैसे बैंक जब भी कोई लोन क्लोज्ड करती हैं तो आपको एक लोन एनओसी प्रदान करती हैं.
क्रेडिट रिपोर्ट में सेटल्ड फ्लेग क्या हैं
मान लीजिये के आपका कोई 1 लाख का लोन चल रहा था तथा वर्तमान में उसका बेलेंस 20 हजार रूपये हैं और आप चाहते हैं की इसे क्लोज कर दिया जाए. बैंक और आपकी आपसी बातचीत में ये निर्णय लिया की इस लोन को 20 हजार के बजाये 10 हजार के सेटलमेंट के तौर पर बंद कर दिया जाये और ऐसा हो भी जाता हैं तो बैंक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को उक्त लोन के सम्बन्ध में लोन सेटल्ड के रूप में रिपोर्ट करेगी. यह स्थित तब और बनती हैं जब की कोई व्यक्ति पर लोन के पेमेंट का बोझ हो और वो माह दर माह किश्त जमा करने में असमर्थ होता जा रहा हैं इसके फलस्वरूप जहा एक और उसका लोन ओवरड्यू बढ़ रहा हैं वही लोन लेट पेमेंट चार्जेस और लोन बाउंसिंग चार्जेस और उस पर लगे ब्याज से यह अमाउंट अधिक होता जा रहा हैं. अमूमन ऐसे मामलो में लोन लेने वाले चार्जेस,लोन पेनेल्टी आदि को माफ़ करने की गुजारिश बैंक या फाइनेंस कंपनी से करते हैं और बैंक और फाइनेंस कंपनी मूल राशि को प्राप्त करके शेष चार्जेस सेटल्ड के रूप में दर्शा देती हैं. यह स्थिति अगर आपके क्रेडिट रिकार्ड में 1 से ज्यादा बार दर्शित होती हैं तो यह आपके क्रेडिट स्कोर के लिए ठीक नहीं होती हैं.क्रेडिट रिपोर्ट में राइट-ऑफ क्या होता हैं
जब किसी लोन के बकाये का भुगतान 6
माह से ज्यादा समय तक किया जाता तो बैंक या फाइनेंस कंपनी अनुमानित तौर पर उस खाते को डूबत मानती हैं. तथा क्रेडिट
रिपोर्ट
में ड्यू के साथ राईटऑफ़ दर्शाती है. सही शब्दों में समझे तो यदि कोई ब्यक्ति पूरी तरह से किसी लोन को चुकाने में असमर्थ हो जाता हैं तो उस लोन को राईटऑफ
क्लोज्ड
में दर्शा दिया जाता हैं. अब लोन देने
वाली बैंक
उक्त लोन को क्रेडिट रेटिंग कम्पनी को बकाये के साथ बंद दर्शाती हैं. यह स्थिति सबसे खराब होती हैं. और इस
तरह के फ्लेग
के बाद नया लोन मिल पाना लगभग नामुमकिन सा
हो सकता हैं.
क्रेडिट रिपोर्ट में क्लोज्ड, सेटल्ड और राईटऑफ़ फ्लेग क्या हैं - उम्मीद करते हैं आपको क्रेडिट रिपोर्ट की जानकारी पसंद आयी होगी, यदि इसके अलावा भी आपके मन में कोई सवाल हैं तो आप कमसे पूछ सकते हैं. हम आपके हर सवाल का जवाब देते हैं.