LOAN SETTLEMENT KE BARE ME सम्पूर्ण JANKARI | LOAN SETTLEMTNT KAISE KARE
LOAN SETTLEMENT KE BARE ME सम्पूर्ण JANKARI | LOAN SETTLEMTNT KAISE KARE - जब भी हम कोई LOAN लेते हैं तो हमारी ये बिलकुल ये इच्छा नहीं होती की कभी हम उस LOAN की EMI अनियमित करके LOAN DEFAULT करें . लेकिन कई बार बहुत इस परिस्थितियों के चलते कभी कभी LOAN की EMI हमारे द्वारा अनियमित हो जाती हैं जिसका असर हमारे LOAN पर पड़ता हैं और LOAN DEFAULT हो जाता हैं . ऐसे में LOAN के DEFAULTER होने पर न केवल हमारा CIBIL KHARAB होता हैं बल्कि BANK का LOAN को नियमित करने या बंद करने का हमपे बहुत सा प्रेशर भी आने लगता हैं . ऐसी परिस्थिति में हम सोचते हैं की बेहतर हैं की इस LOAN KO SETTLEMENT के माध्यम से बंद कर दिया जाएँ लेकिन LOAN SETTLEMENT की कम जानकारी के कारण हम ये समझने में परेशान होते हैं की हमें LOAN SETTLEMENT KARNA CAHIYE या नहीं . साथ ही अगर LOAN SETTLEMENT KARNA HAIN तो कैसे करें और इसका क्या असर पड़ेगा .
इन सभी जानकारी को लेकर ही आज की हमारी पोस्ट हैं इस पोस्ट को पढ़कर आप LOAN SETTLEMENT से जुडी बारीक से बारीक जानकारी समझ पायेंगे . तो चलिए हम एक एक करके LOAN SETTLEMENT KI JANKARI देने की कोशिश करते हैं .
LOAN SETTLEMENT KYA HOTA HAIN ?
सबसे पहले आपको ठीक से समझना होगा की आखिर LOAN SETTLEMENT KYA HAIN ? क्योकि इसे पूरा समझने के बाद ही इसकी दूसरी बातो को समझ पायेंगे तो आपकी जानकारी के लिए बता दें . जब भी कोई LOAN DEFAULT होता हैं तो BANK के हर तरह के प्रयास उस LOAN से RECOVERY करना होते हैं . ऐसे में सभी प्रयासों को करने के बाद यानी की बार बार LOAN DEFAULTER से फोलोअप लेने, नोटिस भेजने और लीगल कार्यवाही शुरू करने के बाद भी BANK को ऐसा लगता हैं की उसे LOAN की RECOVERY में परेशानी आ सकती हैं और अब यह LOAN खाता डूबत में जाने की और हैं तो BANK अपना फायनल RECOVERY ऑप्शन चुनती हैं इसे ही LOAN SETTLEMENT कहा जाता हैं .
बेसिकली LOAN SETTLEMENT BANK और DEFAULT हुए ग्राहक के बिच एक म्यूचल समझोता होता हैं . इसके तहत BANK ग्राहक को या ग्राहक BANK को LOAN SETTLEMENT के लिए कहता हैं . इस तरह के SETTLEMENT के अंतर्गत LOAN के चार्जेस माफ़ किये जाना, ब्याज का माफ़ किया जाना या कभी कभी LOAN के मूलधन की कुछ राशि की माफ़ी भी BANK द्वारा दी जाती हैं . लेकिन ये पूरी तरह से BANK के निर्णय पर निर्भर करता हैं .
LOAN SETTLEMENT KE KARAN ?
LOAN SETTLEMENT KE KARAN की बात की जाए तो बहुत से कारणों के तहत LOAN SETTLEMENT किया जाता हैं.
- किसी LOAN के पूरी तरह के DEFAULT होने के बाद BANK LOAN SETTLEMENT KA OFFER कर सकती हैं .
- BANK के गलत कमिटमेंट के चलते ग्राहक BANK को LOAN SETTLEMENT का कह सकता हैं .
- BANK के LOAN RECOVERY के सभी प्रयासों के बाद भी यदि LOAN का भुगतान नहीं होता तो LOAN SETTLEMENT का रास्ता अपनाया जा सकता हैं .
- BANK LOAN को नियमित जमा न कर पाने पर ग्राहक LOAN के DEFAULT होने से बचने के लिए BANK से LOAN SETTLEMENT का निवेदन कर सकता हैं .
- LOAN लेते समय ब्याज और चार्जेस की गलत सुचना के चलते ग्राहक LOAN KE SETTLEMENT का BANK से कह सकता हैं .
- ब्याज अत्यधिक लगने पर शेष LOAN का भुगतान ग्राहक द्वारा SETTLEMENT के माध्यम से करने का BANK को निवेदन कर सकता हैं .
- LOAN लेने के बाद ग्राहक के जीवन में कोई गंभीर समस्या के आ जाने पर, LOAN लेने वाले की म्रत्यु हो जाने पर भी BANK या ग्राहक की और से LOAN SETTLEMENT की पेशकश की जा सकती हैं .
LOAN SETTLEMENT कब होता हैं ?
वैसे तो इसके कारणों के चलते ही LOAN SETTLEMENT किया जाता हैं . लेकिन LOAN SETTLEMENT कब होता हैं ? इसका सीधा और छोटा जावाब यह होगा की जब भी उल्लेखित कारणों के चलते BANK और LOAN लेने वाले के मध्य LOAN को बंद करने की आपसी सहमती, LOAN ब्याज,चार्जेस या मूलधन की माफ़ी पर बन जाती हैं तब LOAN SETTLEMENT होता हैं .
LOAN SETTLEMENT KE FAYDE
LOAN SETTLEMENT KE FAYDO की बात की जाएँ तो ये दो पक्षों को फायदा पहुचाता हैं . एक BANK पक्ष को और दुसरा LOAN लेने वाले ग्राहक पक्ष को . एक और जहा BANK को LOAN RECOVERY के सभी प्रयासों के बाद भी कोई सफलता नहीं मिलती तब BANK LOAN SETTLEMENT ऑफर यानी OTS OFFER करती हैं . ऐसे में BANK को जिस LOAN खाते पर किसी तरह का कोई पैसा आता नहीं दिखता उस खाते पर भी कुछ न कुछ RECOVERY आने की उम्मद को LOAN SETTLEMENT बड़ा देता हैं . वही दूसरी और LOAN लेने वाले ग्राहक को चार्जेस,ब्याज या कभी कभी LOAN के मूल पर थोड़ी माफ़ी मिल जाती हैं . ऐसे में जिस LOAN को LOAN लेने वाला ग्राहक चुकाने में परेशान होता रहता हैं उसे वह LOAN SETTLEMENT के माध्यम से बंद करवा पाता हैं .
LOAN SETTLEMENT KE NUKSAN
नुकसानों की बात की जाए तो ये भी दोनों पक्षों पर पड़ता हैं . BANK को जहा उसके ब्याज और चार्जेस को माफ़ करके अपनी बुक में उसे डूबत में बताना पड़ता हैं वही कभी कभी LOAN के मूलधन की माफ़ी भी देना होती हैं . ऐसे में BANK को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता हैं . हालंकि यह नुकसान बहुत ज्यादा नहीं होता लेकिन जब LOAN के शुरवाती सालो में ही कस्टमर LOAN में DEFAULT करने लगता हैं तो ये नुकसान बड़ा भी हो सकता हैं . दूसरी और LOAN लेने वाले यानी ग्राहक के नुकसान की बात की जाएँ तो उसे सिर्फ उसके खराब रिकार्ड और CIBIL KHARAB होने का नुकसान उठाना पड़ता हैं . लेकिन ये कोई छोटा मोटा नुकसान नहीं होता . जब किसी का CIBIL SCORE KHARAB हो जाता हैं तो उसे भविष्य में LOAN मिलना लगभग असंभव हो जाता हैं .
क्या LOAN SETTLEMENT KARNA CAHIYE ?
ऊपर की जानकारियों के बाद अक्सर हमारे मन में ये सवाल आता हैं . किं अगर हम किसी भी परिस्थिती के चलते LOAN जमा असमर्थ हो जाएँ तो क्या हमें LOAN SETTLEMENT KARNA CAHIYE . तो इसका सीधा सा उत्तर हैं ये आप पर निर्भर करता हैं की आपको ऐसा करना चाहिये या नहीं और LOAN SETTLEMENT का निर्णय ऊपर बताये गए फायदों और नुकसान को ध्यान में रखकर लेना जरुरी हैं . अगर आप किसी बड़ी आर्थिक परेशानी से गुजर रहे हैं और आप LOAN से बहुत ज्यादा परेशान हैं तो आप LOAN SETTLEMENT करा सकते हैं . लेकिन आप चाहते हैं की आपका CREDIT SCORE KHARAB न हो तो आपको LOAN SETTLEMENT के बारे में सोच समझकर निर्णय लेना चाहिये .
LOAN SETTLEMENT KAISE KARE ?
सभी जानकारियों के बाद अब बारी आती हैं की अगर आप LOAN SETTLEMENT करवाना चाहते हैं तो आप इसे कैसे करवा सकते हैं . जैसा की हमने बताया LOAN SETTLEMENT होना कई परिस्थितियों पर निर्भर करता हैं और उनमे से दो मुख्य हैं . एक हैं BANK LOAN SETTLEMENT KA OFFER करें तब आप यदि BANK के ऑफर से सहमत हैं तो आप अपने LOAN KO SETTLED करा सकते हैं .
दुसरा यदि आप LOAN जमा करने में असमर्थ हैं और अब आप चाहते है की BANK से इस LOAN को सेटल करके LOAN बंद कराना ही उचित हैं तो आप BANK से अपनी परेशानियों, LOAN को नियमित न कर पाने के कारणों को बताकर LOAN KE SETTLEMENT का निवेदन कर सकते हैं . लेकिन ये जरुरी नहीं की आपके निवेदन को स्वीकार कर ही लिया जाएँ क्योकि किसी LOAN KO SETTLEMENT KARNA या न करना पूरी तरह से BANK का अधिकार हैं . और अपने इस विशेषअधिकार का वो प्रयोग किन परिस्थितियों पर करती हैं ये BANK पर ही निर्भर करता हैं .
LOAN SETTLEMENT KE BARE ME सम्पूर्ण JANKARI | LOAN SETTLEMTNT KAISE KARE : तो ये थी LOAN SETTLEMENT KE BARE ME सम्पूर्ण जानकारी . उम्मीद हैं आपको जानकारी पसंद आयी होगी . सम्पूर्ण जानकारी पढ़कर आप ये अनुमान लगा सकते हैं की आपको लोन का सेटलमेंट करना चाहिये या नहीं . हमारा तो यहाँ सजेशन हैं की लोन का सेटलमेंट बहुत सोच समझकर किया जाना चाहिये !